सेकेंड सेमेस्टर शुरू होने के एक दिन पहले मैं रात भर यही सोचता रहा कि कैसे मैं बेकार की चीज़ो और बुरी आदतों को खुद से दूर करूँ, ताकि मैं ठीक वैसी ही स्टडी कर सकूँ,जैसे पिछले कई सालो से करता आया था...मैने बहुत सोचा, रात भर अपना सर इसी सोच मे खपा दिया तब मुझे समझ आया कि इसकी जड़ तो मेरे रूम से ही शुरू होती है और यदि मुझे सुधरना है तो इसके दो ही रास्ते है, या तो खुद मैं रूम छोड़ दूं या फिर अरुण को दूसरे रूम मे शिफ्ट होने के लिए कहूँ....सल्यूशन एक दम सिंपल था...मैं जान चुका था कि मुझे क्या करना चाहिए, लेकिन मैने ऐसा नही किया...या फिर ये कहें कि मेरी हिम्मत ही नही हुई कि अरुण को मैं दूसरे रूम मे जाने के लिए कहूँ....मैने खुद ने भी रूम नही बदला, जिसका सॉफ और सुढृढ मतलब यही था कि मैं खुद भी उसी रूम मे अरुण के साथ रहना चाहता था और अपनी ज़िंदगी की जड़े खोदकर बाहर कर देना चाहता था.....
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नींद सुबह के 5 बजे लगी और जैसा कि अक्सर होता था मेरी नींद अरुण के जगाने से खुली...
"अबे ,फर्स्ट क्लास दंमो रानी की है, मरवाएगा क्या..."
"कितना टाइम बचा है.."
"सिर्फ़ 10 मिनिट्स..."
"क्या...सिर्फ़ 10 मिनिट्स..."मैं तुरंत उठकर बैठ गया और पानी से भरा बोतल हाथ मे लेकर खिड़की कि तरफ बढ़ा... खिड़की के पास मैने उस आधी भारी बोतल से पानी अपने हाथ मे लेकर थोड़ा पानी अपने चेहरे मे छिड़का, तो थोड़ा पानी अपने बाल पर छिड़क कर हाथ से सेट करने लगा और कॉलेज जाने के लिए दो मिनट मे तैयार हो गया....
वैसे तो इस सेमेस्टर मे सारे सब्जेक्ट ही न्यू थे,लेकिन कुछ टीचर्स वही थे जिन्होने फर्स्ट सेमेस्टर मे हमारा सर खाया था...दंमो रानी इस सेमेस्टर मे भी हमे बात-बात पर क्लास से बाहर भेजने के लिए तैयार थी ,कुर्रे सर और उनका"आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते"डाइलॉग भी हमारे सर पर हथौड़ा मारने के लिए हमारे साथ था....साथ नही थी तो वो थी दीपिका मैम , दीपिका मैम के यूँ चले जाने से मुझे दुख तो नही हुआ लेकिन थोड़ा बुरा ज़रूर लगा था,क्यूंकी मैने अच्छा ख़ासा वक़्त उनकी लैब मे बिताया था और वो वक़्त ऐसा था कि जिसे मैं कभी भूल नही सकता था, मैं ही क्या ,मेरी जगह यदि कोई और भी होता तो वो भी दीपिका मैम को नही भूल पाता...क्यूंकी उसकी जैसे एक दम बिंदास रैपचिक माल ,जो रिसेस मे आपका होंठ चूसे उसे भूलना मुश्किल होता है... मतलब राइट साइड वाला प्यार थी अपुन का वो... तो थोड़ा बहुत तो दुखी होना बनता है.
Bhu अभी तक घर से नही आया था, इसलिए आज मैं और अरुण ही हॉस्टल से एकसाथ कॉलेज पहुँचे, क्लास वही थी और टीचर भी जानी पहचानी थी....
"ये दमयंती फिर,बाहर करेगी..."क्लास से जब हम दोनो थोड़ी दूर पर थे, तब मैने कहा...क्यूंकी इस वक़्त कॉरिडर पर सन्नाटा फैला हुआ था और क्लास भी बिल्कुल शांत थी,जिसका एक ही मतलब था कि दंमो रानी क्लास के अंदर मौज़ूद है....
वैसे तो मुझे 100 % श्योर था कि दंमो हम दोनो को क्लास मे घुसने ही नही देगी,लेकिन फिर भी ट्राइ करने मे क्या जाता है,ऐसा सोचकर मैं बोला
"मे आइ कम इन...मैम ."
उसने हमे देखा और फिर अपने घड़ी मे देखते हुए बोली"कम इन, यदि दो सेकंड और लेट हुए होते तो क्लास मे एंटर होने नही देती..."
"थैंक यू मैम ..."बोलकर मैने और अरुण ने अपनी सीट पकड़ ली...
अब क्यूंकी मुझे पहले से ही मालूम था कि दीपिका मैम से मिलना नही हो पाएगा तो मैं थोड़ा उदास सा था, क्यूंकी.....यदि सीधे लफ़ज़ो मे कहा जाए तो मैं उसे सच मे पेलना चाहता था...उसके रसीले होंठो के साथ -साथ उसके हर एक अंग को भोगना चाहता था. पर अब जबकि वो हमारे साथ नही है तो ये काम करना लगभग नामुमकिन था...क्यूंकी जो मैं सोच रहा हूँ,उसके हिसाब से उसने कोई दूसरा अरमान ढूँढ लिया होगा..जो रिसेस मे उसके साथ लैब मे वक़्त बिताएगा, लेकिन मैं इतना तो पक्के तौर पर कह सकता हूँ कि उसे मेरी याद तो ज़रूर आएगी क्यूंकी हर लड़का....अरमान नही हो सकता और ना ही अरमान की तरह ब्रिलियेंट और हैंडसम....🤴
खैर जो भी था पर सच यही था कि अब मुझे दीपिका को पूरी तरह से भूल कर आगे बढ़ना होगा, दूसरा ख़याल ये आया कि ऐश और गौतम की प्रेम कहानी को कैसे तोड़ा जाए, क्यूंकी छुट्टियो के दिनो मे तो उन दोनो ने बहुत समय साथ बिताया होगा.....
"हे...यू..."
"यस सर..."खड़े होते हुए मैने कहा और सामने देखा , हमारी दंमो रानी से कुर्रे सर ने पोज़िशन कब एक्सचेंज कर ली ,इसका मुझे पता तक नही चला और इस वक़्त मेरे सामने कुर्रे सर थे...
"कहाँ देख रहे हो..."
"कही नही...."
"मैं तुम लोगो को पढ़ाने के लिए कल रात भर 3-3 बुक्स से पढ़कर आया हूँ और तुम सामने देखने की बजाय नीचे सर झुकाए बैठे हो...लकवा मार गया है क्या..."
"वो सर,मैं अपना पेन निकाल रहा था बैग से..."
"पर बैग तो तुम्हारा डेस्क के उपर है, नीचे कहाँ से पेन निकाल रहे थे..."
"बैग से निकालते वक़्त नीचे गिर गया था, तो उठा रहा था...."
"बाहर जाओ, मैं नही चाहता कि किसी एक की वजह से पूरी क्लास डिस्टर्ब हो..."
"क्या सर..."
"गेट आउट...."कुर्रे ने अपनी लाल होती आँखो से मुझे घूरते हुए कहा...
"साले कल्लू, तेरी माँ की भूत ..dk bose "साइलेंट मोड मे अपने होंठ हिलाते हुए मैं क्लास से बाहर आया.....
मैं वाकई मे सुधरना चाहता था, घर मे बिताए हुए 15 दिनो ने मेरे अंदर एक गहरी छाप छोड़ी थी....लेकिन इस वक़्त मैं क्लास के बाहर खड़ा होकर अपने hod को गाली दे रहा था,क्यूंकी hod सर आज ,उस कल्लू कुर्रे की क्लास ख़त्म होने से पहले ही आ पहुँचे थे और मुझे क्लास के बाहर देखकर उन्होने मेरे बाहर होने का रीज़न पुछा...तो मैने सच बता दिया कि मैं क्लास मे ध्यान नही दे रहा था ,इसीलिए कुर्रे सर ने मुझे बाहर भगा दिया.... मैने उस समय सच्चाई का मार्ग चूना.. क्यूंकि इस सेमेस्टर मै सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई करना चाहता था... इसलिए मैं सत्य का रास्ता चुना... क्यूंकि सही मार्ग पे चलने कि शुरुआत झूठ से तो नहीं हो सकती ना... ऊपर से जब वो हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट आपसे पूछ रहा हो और इसी अच्छे बनने कि चाह मे मैने hod सर से सच कहा....
"मेरी क्लास मे भी मत आना अब, समझे..."
इसकी ... माँ.... का ....सर झुकाकर मैं बोला"ओके सर..."
और अब मैं लगातार दो पीरियड क्लास के बाहर था...उपर से hod सर ने ये भी कहा था कि मैं क्लास के गेट के सामने ही खड़ा रहूं, ताकि वो और पूरी क्लास जब बीच -बीच मे बोर हो जाए तो मुझे देखकर अपना टाइम पास कर सके... मैं क्या करता,hod सर की बात टाल कैसे सकता था आख़िर मेरा सारा लेखा जोखा तो उन्ही के हाथ मे था... मैं पूरी पीरियड भर गेट के सामने खड़ा रहा और रिसेस होने का इंतज़ार करता रहा...
हमारी हर एक क्लास 50 मिनिट्स की होती थी ,तो उसके हिसाब से मैं पूरे एक घंटे 40 मिनिट्स तक बाहर एक ही पोजीशन मे किसी मूर्ति के माफिक़ बिना हिले -डूले खड़ा रहा... Actually, अंदर ही अंदर मैने खुद को चुनौती दी थी कि.. क्या मैं लगातार बिना हिले -डूले खड़ा रह सकता हूँ या नहीं...?? और इस बीच पैर इतना दर्द देने लगा कि ,रिसेस होने के बाद मैं तुरंत अपने बेंच पर जाकर लेट गया, अपने बेंच पर जाकर पैर फैलाया तो वो बगल वाली बेंच से जा टकराए ,और मैने बिना किसी की परवाह किए हुए दो-दो बेंच पर पैर पसारे और तब तक लेटा रहा, जब तक अरुण बाहर से घूम फिरकर मेरे पास नही आ गया....
"ओये, उठ...बाहर तेरी माल है..."
"कौन..? ईशा..."मैं तुरंत उठकर बैठ गया...
"नही, सिबिन है... Intro दे दे उसको जाके ."हसते हुए अरुण ने कहा
"पांडू, साले......"
"ईशा है बे...लेकिन उसके साथ मे गौतम भी है...."
"तो क्या मैं डरता हूँ उससे ,जो मुझे बता रहा है..."मैं एक दम जोश मे खड़ा हुआ फिर बोला"चल आ बाहर चलते है..."
हम दोनो बाहर आए, बाहर कॉरिडर मे हमारे क्लास के कुछ और लड़के थे,जो अनाप-सनाप बाते करके अपना टाइम पास कर रहे थे...मैं और अरुण भी उनके उस अनाप-सनाप गॉसिप मे शामिल हो गये....
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अपने दोस्तो से बाते करते हुए मैं बीच-बीच मे ईशा की तरफ देखता, वो गौतम के साथ दीवार की टेक लिए हुए बाते कर रही थी...मैं ,जो कि अब शरीफ नही रहा , ऐश को देखते ही इतना एमोशनल कैसे हो जाता हूँ ,ये मेरी समझ के उस वक़्त भी बाहर था और अब भी बाहर है....उस वक़्त मैं ईशा को देखकर यही सोच रहा था कि "क्या उसे कोई फरक नही पड़ता मेरे होने या ना होने से..?? ...इतनी दिन की लड़ाई को वो इतनी जल्दी तो नही भूल सकती.... ईशा को फर्क पडे ना पडे.. गौतम को तो पड़ता ही होगा और जब गौतम को फर्क पड़ता है तो फिर ईशा को भी पड़ता ही होगा 😁.... मैने दिमाग़ लगाया.
मैं आगे भी बहुत कुछ सोचता यदि गौतम के मोबाइल की रिंग ना बजी होती, जनरली कॉलेज मे सभी अपना मोबाइल साइलेंट ही रखते थे,लेकिन उस उल्लू ने ऐसा नही किया हुआ था...उसने कॉल रिसीव की और फिर ईशा की तरफ इशारा करते हुए बोला कि उसे जाना पड़ेगा.......
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"साले की क्या किस्मत है...वो उसे छोड़ के जा रहा है, तब भी वो उसी के साथ चिपकी रहेगी और इधर मैं उसके लिए इंजिनियरिंग तक छोड़ने को तैयार हूँ,लेकिन वो एक नज़र उठा कर देखती भी नही..."
"कुछ ज़्यादा नही हो गया..."
"ज्यादा हो गया क्या..? ...ले फिर मैं ऐसे बोल देता हूँ कि मैं उसके लिए सिगरेट छोड़ने को तैयार हूँ...."
"बेटा,मैने तो पहले ही कहा था कि ,इस लौंडिया के चक्कर मे मत पड़...यदि इसकी जगह तूने दीपिका मैम को तीन-तीन लैंग्वेज मे आइ लव यू बोला होता ना...तो... अब तक तू उसे तीन बार ठोक भी चुका होता... वो तेरा इतना ख़याल रखती जैसे कि वो तेरी बीवी हो...मस्त पेलवाती और अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा तुझे ऐश करने के लिए भी देती...इससे हमारा भी कुछ भला हो जाता..."
अरुण ने ये इस तरह से कहा था कि एक पल के लिए मुझे भी यही लगने लगा.. कि तत्काल मुझे ईशा का चक्कर छोड़ कर दीपिका मैम पर ध्यान देना चाहिए... मै खुद को तैयार भी करने लगा था लेकिन उसके अगले पल ही मैने ऐश को ,जो की अब अकेली खड़ी थी,उसे दीवार के सहारे अकेला खड़ा देख नाखून घिसते हुए देखा तो.....................
"नही यार... अरुण "
"क्या नही..."
"दीपिका मैम , मालदार भी है और शानदार भी...लेकिन उनमे वो बात नही है...."
Barsha🖤👑
26-Nov-2021 06:03 PM
बहुत सुंदर भाग
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